लोगों की राय

बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी प्रथम प्रश्नपत्र - हिन्दी काव्य का इतिहास

एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी प्रथम प्रश्नपत्र - हिन्दी काव्य का इतिहास

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2677
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

हिन्दी काव्य का इतिहास

प्रश्न- छायावादी रहस्यवादी काव्यधारा का संक्षिप्त उल्लेख करते हुए छायावाद के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।

उत्तर -

जिस समय भारत में बंगाल प्रान्त को विभाजित करने की घोषणा के बाद बंग-भंग आन्दोलन चलाया जा रहा था उसी समय से स्वतंत्रता प्राप्ति को विशेष रूप से आन्दोलन का लक्ष्य बनाया गया। उन्हीं दिनों में रवीन्द्र नाथ टैगोर की रचना गीतांजलि को विशेष प्रतिष्ठा मिली। अंग्रेजी साहित्य के माध्यम से भी एक काव्य परिपाटी सामने आयी। इस सब के प्रभाव वश हिन्दी छायावाद के नाम से एक विशेष रूप प्रारम्भ किया गया छायावादी काव्यधारा के कवियों ने प्रकृति के साथ रागात्मक सम्बन्ध स्थापित की और अत्यन्त चित्रमयी भाषा में मनोरम रूप एवं भाव संकेत उपस्थित किए। आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अनुसार यद्यपि इस धारा का प्रवर्तन मैथिलीशरण गुप्त और पांडेय से हुआ तथापि रहस्यवाद के संदर्भ में प्रसाद, निराला एवं महादेवी वर्मा के नाम से ही प्रमुख हैं। लाक्षणिकता एवं मधुकल्पना के साथ कवि की अज्ञात प्रिय के प्रति प्रेम में विह्वलता उससे मिलने के लिए अभिसार उसके पदचापों की ध्वनि को सुनना और तम के परदे में उसके आने की आकुल प्रतीक्षा करते हुए नीरव गान गाना रहस्यवाद एवं छायावाद की विशेषता बन गई। कबीर, जायसी, मीरा आदि के साहित्य में भी ऐसी रहस्यात्मकता के दर्शन होते हैं। छायावादी कविता में सौन्दर्य के प्रति आकर्षक, प्राकृतिक विभिन्न रूप - व्यापारों में अनेक प्राणों की छाया देखने की प्रवृत्ति आकुलता, और अनुभूतियों की व्यंजना में प्रतीकों का आश्रय ग्रहण किया गया।

प्रसाद, पंत, निराला और महादेवी वर्मा के अतिरिक्त डॉ. रामकुमार वर्मा, भगवतीचरण वर्मा, सियाराम शरण गुप्त, नरेन्द्र शर्मा तथा दिनकर आदि ने इस प्रकार की काव्य रचना को प्रौढ़ता प्रदान की।

छायावाद मूल्यांकन और महत्व - छायावादी कविता अपनी भाव और भंगिमा के लिए अत्यन्त प्रशंसनीय रही है, फिर भी इस कविता की कतिपय विसंगतियाँ हैं जिनके कारण सन् 1935 ई. के आस-पास इसकी गति मन्द पड़ती दिखाई पड़ी। छायावादी कविता की प्रमुख प्रमुख विसंगतियों को हिन्दी के समालोचकों ने इस प्रकार रेखांकित किया है -

(1) छायावादी कविता में लोकमंगल - भावना - सम्पृक्त जीवनदृष्टि का अभाव है।
(2) लोक-संवेदना की उपेक्षा की गयी है।
(3) कल्पना - मंडित वायवी संसार की सृष्टि हुई है।
(4) पीड़ा, निराशा और पलायन की प्रवृत्ति अधिक है।
(5) सौन्दर्य का क्षेत्र व्यापक नहीं है।
(6) शब्दों और अलंकारों के प्रति मोह है।
(7) बुद्धि बहुल प्रतीकों का बाहुल्य है।
(8) भाषा व्याकरण सम्मत नहीं है और अत्यन्त दुरूह दुर्बोध है।

छायावादी कविता में यद्यपि उक्त विसंगतियों थोड़ी बहुत मात्रा में अवश्य दिखाई पड़ेगी, लेकिन इस कविता का जो उज्जवल पक्ष है, उसकी रमणीयता को अनदेखा नहीं किया जा सकता है।

छायावादी कविता की मनोरमता का एक इतिहास है कि यह कविता अपने युग की उत्कट मांग थी। उसकी असाधारण उपलब्धियों को इस प्रकार रेखांकित किया जा सकता है -

(1) छायावादी कविता में सौन्दर्य की सूक्ष्म सत्ता को संस्थापित किया गया है।
(2) छायावादी काव्य में कवियों की बहुआयामी और बहुकोणीय कविता अनावृत्त हुई है।
(3) नारी के गतानुभगतिक रूप अर्थात् भोगिनी रूप की अभ्यर्थना नहीं हुई है, इस प्रकार नारी के उदात्त मानवी रूप को रूपायित किया गया है।
(4) छायावादी कविता में सांस्कृतिक पुनर्जागरण का सुप्रयास दृष्टिगत होता है।
(5) प्रकृति के आलम्बन रूप की व्यापक प्रस्तुति हुई है।
(6) छायावादी कविता में युग चेतना अर्थात् स्वतंत्रता आन्दोलन को भी स्वर प्रदान किया गया है।
(7) भावोत्कर्ष में सहायक भारतीय एवं अभारतीय अलंकारों का अनायास प्रयोग हुआ है।
(8) अभिनव अप्रस्तुतों की प्रस्तुति है
(9) गीतात्मकता और मुक्त छन्द का व्यवहार छायावादी कविता की अन्यतम विशेषता है।

छायावाद युगीन काव्य के समन्वित अध्ययन के उपरान्त यह स्पष्ट हो जाता है कि इस युग की कवि - प्रतिभा सर्जना के विविध क्षेत्रों में गतिशील रही है और उसने नई दिशाओं की ओर संकेत भी किया है। अभिव्यंजना की दृष्टि से इस युग के काव्य की छायावादी धारा में जहाँ सूक्ष्म वक्रता और जटिल संरचना दिखाई देती है। वहाँ राष्ट्रीय सांस्कृतिक कविता में और प्रेमप्रधान स्वच्छन्द वैयक्तिक काव्यधारा में शैली की सरलता तथा आवेग दिखाई देते हैं। इस युग की प्रधान प्रवृत्ति छायवादी काव्यधारा की प्रमुख विशेषता है प्रकृति सम्बन्धी दृष्टिकोण में नवीनता। इस युग के कवियों ने प्रकृति चित्रण में सूक्ष्म, संश्लिष्ट और नूतन उद्भावनाएं की। अनुभूति की दृष्टि से इस युग का साहित्य व्यक्तिनिष्ठ होने पर भी सामाजिकता से विच्छिन्न नहीं रहा है।

छायावादी कवियों ने भौतिक तथा आध्यात्मिक संस्कृतियों के संघर्ष और द्वैत की ज्वलन्त आधुनिक समस्या से जूझने का स्तुत्य प्रयास किया है। इस धारा के सभी कवियों ने अपने-अपने ढंग से द्वैत का निषेध करके दोनों संस्कृतियों का समन्वय का यत्न किया है। यह समन्वय स्पष्टतः आध्यात्मिक सत्ता की प्रमुखता पर आधारित है। जिस प्रकार आध्यात्मिक और भौतिक सत्य इस काल की काव्य चेतना के दो छोर हैं, उसी प्रकार वह काव्य चेतना व्यक्ति और समाज की स्थितियों का न केवल स्पर्श करती है परन्तु उन दोनों में की की दोनों समन्वय का प्रयास करती है। इस स्थिति में विकास की दोनों सम्भावनाएँ निहित हैं -

(1) समाजवादी चेतना का विकास
(2) व्यक्तिवादी चेतना का विकास

पहली सम्भावना छायावादोत्तर काल में प्रगतिवादी काव्य के रूप में और दूसरी सम्भावना प्रगतिवादी की परवर्ती धारा प्रयोगवादी काव्य के रूप में विकास पाती हुई दिखाई देती है।

 

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. प्रश्न- इतिहास क्या है? इतिहास की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  2. प्रश्न- हिन्दी साहित्य का आरम्भ आप कब से मानते हैं और क्यों?
  3. प्रश्न- इतिहास दर्शन और साहित्येतिहास का संक्षेप में विश्लेषण कीजिए।
  4. प्रश्न- साहित्य के इतिहास के महत्व की समीक्षा कीजिए।
  5. प्रश्न- साहित्य के इतिहास के महत्व पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  6. प्रश्न- साहित्य के इतिहास के सामान्य सिद्धान्त का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  7. प्रश्न- साहित्य के इतिहास दर्शन पर भारतीय एवं पाश्चात्य दृष्टिकोण का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  8. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा का विश्लेषण कीजिए।
  9. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा का संक्षेप में परिचय देते हुए आचार्य शुक्ल के इतिहास लेखन में योगदान की समीक्षा कीजिए।
  10. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन के आधार पर एक विस्तृत निबन्ध लिखिए।
  11. प्रश्न- इतिहास लेखन की समस्याओं के परिप्रेक्ष्य में हिन्दी साहित्य इतिहास लेखन की समस्या का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- हिन्दी साहित्य इतिहास लेखन की पद्धतियों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  13. प्रश्न- सर जार्ज ग्रियर्सन के साहित्य के इतिहास लेखन पर संक्षिप्त चर्चा कीजिए।
  14. प्रश्न- नागरी प्रचारिणी सभा काशी द्वारा 16 खंडों में प्रकाशित हिन्दी साहित्य के वृहत इतिहास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  15. प्रश्न- हिन्दी भाषा और साहित्य के प्रारम्भिक तिथि की समस्या पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  16. प्रश्न- साहित्यकारों के चयन एवं उनके जीवन वृत्त की समस्या का इतिहास लेखन पर पड़ने वाले प्रभाव का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  17. प्रश्न- हिन्दी साहित्येतिहास काल विभाजन एवं नामकरण की समस्या का वर्णन कीजिए।
  18. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास का काल विभाजन आप किस आधार पर करेंगे? आचार्य शुक्ल ने हिन्दी साहित्य के इतिहास का जो विभाजन किया है क्या आप उससे सहमत हैं? तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए।
  19. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास में काल सीमा सम्बन्धी मतभेदों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  20. प्रश्न- काल विभाजन की उपयोगिता पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  21. प्रश्न- काल विभाजन की प्रचलित पद्धतियों को संक्षेप में लिखिए।
  22. प्रश्न- रासो काव्य परम्परा में पृथ्वीराज रासो का स्थान निर्धारित कीजिए।
  23. प्रश्न- रासो शब्द की व्युत्पत्ति बताते हुए रासो काव्य परम्परा की विवेचना कीजिए।
  24. प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए - (1) परमाल रासो (3) बीसलदेव रासो (2) खुमान रासो (4) पृथ्वीराज रासो
  25. प्रश्न- रासो ग्रन्थ की प्रामाणिकता पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  26. प्रश्न- विद्यापति भक्त कवि है या शृंगारी? पक्ष अथवा विपक्ष में तर्क दीजिए।
  27. प्रश्न- "विद्यापति हिन्दी परम्परा के कवि है, किसी अन्य भाषा के नहीं।' इस कथन की पुष्टि करते हुए उनकी काव्य भाषा का विश्लेषण कीजिए।
  28. प्रश्न- विद्यापति का जीवन-परिचय देते हुए उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  29. प्रश्न- लोक गायक जगनिक पर प्रकाश डालिए।
  30. प्रश्न- अमीर खुसरो के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
  31. प्रश्न- अमीर खुसरो की कविताओं में व्यक्त राष्ट्र-प्रेम की भावना लोक तत्व और काव्य सौष्ठव पर प्रकाश डालिए।
  32. प्रश्न- चंदबरदायी का जीवन परिचय लिखिए।
  33. प्रश्न- अमीर खुसरो का संक्षित परिचय देते हुए उनके काव्य की विशेषताओं एवं पहेलियों का उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।
  34. प्रश्न- अमीर खुसरो सूफी संत थे। इस आधार पर उनके व्यक्तित्व के विषय में आप क्या जानते हैं?
  35. प्रश्न- अमीर खुसरो के काल में भाषा का क्या स्वरूप था?
  36. प्रश्न- विद्यापति की भक्ति भावना का विवेचन कीजिए।
  37. प्रश्न- हिन्दी साहित्य की भक्तिकालीन परिस्थितियों की विवेचना कीजिए।
  38. प्रश्न- भक्ति आन्दोलन के उदय के कारणों की समीक्षा कीजिए।
  39. प्रश्न- भक्तिकाल को हिन्दी साहित्य का स्वर्णयुग क्यों कहते हैं? सकारण उत्तर दीजिए।
  40. प्रश्न- सन्त काव्य परम्परा में कबीर के योगदान को स्पष्ट कीजिए।
  41. प्रश्न- मध्यकालीन हिन्दी सन्त काव्य परम्परा का उल्लेख करते हुए प्रमुख सन्तों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  42. प्रश्न- हिन्दी में सूफी प्रेमाख्यानक परम्परा का उल्लेख करते हुए उसमें मलिक मुहम्मद जायसी के पद्मावत का स्थान निरूपित कीजिए।
  43. प्रश्न- कबीर के रहस्यवाद की समीक्षात्मक आलोचना कीजिए।
  44. प्रश्न- महाकवि सूरदास के व्यक्तित्व एवं कृतित्व की समीक्षा कीजिए।
  45. प्रश्न- भक्तिकाल की प्रमुख प्रवृत्तियाँ या विशेषताएँ बताइये।
  46. प्रश्न- भक्तिकाल में उच्चकोटि के काव्य रचना पर प्रकाश डालिए।
  47. प्रश्न- 'भक्तिकाल स्वर्णयुग है।' इस कथन की मीमांसा कीजिए।
  48. प्रश्न- जायसी की रचनाओं का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
  49. प्रश्न- सूफी काव्य का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  50. प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए -
  51. प्रश्न- तुलसीदास कृत रामचरितमानस पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  52. प्रश्न- गोस्वामी तुलसीदास के जीवन चरित्र एवं रचनाओं का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- प्रमुख निर्गुण संत कवि और उनके अवदान विवेचना कीजिए।
  54. प्रश्न- कबीर सच्चे माने में समाज सुधारक थे। स्पष्ट कीजिए।
  55. प्रश्न- सगुण भक्ति धारा से आप क्या समझते हैं? उसकी दो प्रमुख शाखाओं की पारस्परिक समानताओं-असमानताओं की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
  56. प्रश्न- रामभक्ति शाखा तथा कृष्णभक्ति शाखा का तुलनात्मक विवेचन कीजिए।
  57. प्रश्न- हिन्दी की निर्गुण और सगुण काव्यधाराओं की सामान्य विशेषताओं का परिचय देते हुए हिन्दी के भक्ति साहित्य के महत्व पर प्रकाश डालिए।
  58. प्रश्न- निर्गुण भक्तिकाव्य परम्परा में ज्ञानाश्रयी शाखा के कवियों के काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालिए।
  59. प्रश्न- कबीर की भाषा 'पंचमेल खिचड़ी' है। सउदाहरण स्पष्ट कीजिए।
  60. प्रश्न- निर्गुण भक्ति शाखा एवं सगुण भक्ति काव्य का तुलनात्मक विवेचन कीजिए।
  61. प्रश्न- रीतिकालीन ऐतिहासिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनैतिक पृष्ठभूमि की समीक्षा कीजिए।
  62. प्रश्न- रीतिकालीन कवियों के आचार्यत्व पर एक समीक्षात्मक निबन्ध लिखिए।
  63. प्रश्न- रीतिकालीन प्रमुख प्रवृत्तियों की विवेचना कीजिए तथा तत्कालीन परिस्थितियों से उनका सामंजस्य स्थापित कीजिए।
  64. प्रश्न- रीति से अभिप्राय स्पष्ट करते हुए रीतिकाल के नामकरण पर विचार कीजिए।
  65. प्रश्न- रीतिकालीन हिन्दी कविता की प्रमुख प्रवृत्तियों या विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  66. प्रश्न- रीतिकालीन रीतिमुक्त काव्यधारा के प्रमुख कवियों का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार दीजिए कि प्रत्येक कवि का वैशिष्ट्य उद्घाटित हो जाये।
  67. प्रश्न- आचार्य केशवदास का संक्षिप्त जीवन परिचय देते हुए उनकी काव्यगत विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  68. प्रश्न- रीतिबद्ध काव्यधारा और रीतिमुक्त काव्यधारा में भेद स्पष्ट कीजिए।
  69. प्रश्न- रीतिकाल की सामान्य विशेषताएँ बताइये।
  70. प्रश्न- रीतिमुक्त कवियों की विशेषताएँ बताइये।
  71. प्रश्न- रीतिकाल के नामकरण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  72. प्रश्न- रीतिकालीन साहित्य के स्रोत को संक्षेप में बताइये।
  73. प्रश्न- रीतिकालीन साहित्यिक ग्रन्थों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  74. प्रश्न- रीतिकाल की सांस्कृतिक परिस्थितियों पर प्रकाश डालिए।
  75. प्रश्न- बिहारी के साहित्यिक व्यक्तित्व की संक्षेप मे विवेचना कीजिए।
  76. प्रश्न- रीतिकालीन आचार्य कुलपति मिश्र के साहित्यिक जीवन का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  77. प्रश्न- रीतिकालीन कवि बोधा के कवित्व पर प्रकाश डालिए।
  78. प्रश्न- रीतिकालीन कवि मतिराम के साहित्यिक जीवन पर प्रकाश डालिए।
  79. प्रश्न- सन्त कवि रज्जब पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  80. प्रश्न- आधुनिककाल की सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, सन् 1857 ई. की राजक्रान्ति और पुनर्जागरण की व्याख्या कीजिए।
  81. प्रश्न- हिन्दी नवजागरण की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  82. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के आधुनिककाल का प्रारम्भ कहाँ से माना जाये और क्यों?
  83. प्रश्न- आधुनिक काल के नामकरण पर प्रकाश डालिए।
  84. प्रश्न- भारतेन्दुयुगीन कविता की प्रमुख प्रवृत्तियों की सोदाहरण विवेचना कीजिए।
  85. प्रश्न- भारतेन्दु युगीन काव्य की भावगत एवं कलागत सौन्दर्य का वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- भारतेन्दु युग की समय सीमा एवं प्रमुख साहित्यकारों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  87. प्रश्न- भारतेन्दुयुगीन काव्य की राजभक्ति पर प्रकाश डालिए।
  88. प्रश्न- भारतेन्दुयुगीन काव्य का संक्षेप में मूल्यांकन कीजिए।
  89. प्रश्न- भारतेन्दुयुगीन गद्यसाहित्य का संक्षेप में मूल्यांकान कीजिए।
  90. प्रश्न- भारतेन्दु युग की विशेषताएँ बताइये।
  91. प्रश्न- द्विवेदी युग का परिचय देते हुए इस युग के हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में योगदान की समीक्षा कीजिए।
  92. प्रश्न- द्विवेदी युगीन काव्य की विशेषताओं का सोदाहरण मूल्यांकन कीजिए।
  93. प्रश्न- द्विवेदी युगीन हिन्दी कविता की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
  94. प्रश्न- द्विवेदी युग की छः प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
  95. प्रश्न- द्विवेदीयुगीन भाषा व कलात्मकता पर प्रकाश डालिए।
  96. प्रश्न- छायावाद का अर्थ और स्वरूप परिभाषित कीजिए तथा बताइये कि इसका उद्भव किस परिवेश में हुआ?
  97. प्रश्न- छायावाद के प्रमुख कवि और उनके काव्यों पर प्रकाश डालिए।
  98. प्रश्न- छायावादी काव्य की मूलभूत विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
  99. प्रश्न- छायावादी रहस्यवादी काव्यधारा का संक्षिप्त उल्लेख करते हुए छायावाद के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
  100. प्रश्न- छायावादी युगीन काव्य में राष्ट्रीय काव्यधारा का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  101. प्रश्न- 'कवि 'कुछ ऐसी तान सुनाओ, जिससे उथल-पुथल मच जायें। स्वच्छन्दतावाद या रोमांटिसिज्म किसे कहते हैं?
  102. प्रश्न- छायावाद के रहस्यानुभूति पर प्रकाश डालिए।
  103. प्रश्न- छायावादी काव्य में अभिव्यक्त नारी सौन्दर्य एवं प्रेम चित्रण पर टिप्पणी कीजिए।
  104. प्रश्न- छायावाद की काव्यगत विशेषताएँ बताइये।
  105. प्रश्न- छायावादी काव्यधारा का क्यों पतन हुआ?
  106. प्रश्न- प्रगतिवाद के अर्थ एवं स्वरूप को स्पष्ट करते हुए प्रगतिवाद के राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक तथा साहित्यिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  107. प्रश्न- प्रगतिवादी काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियों का वर्णन कीजिए।
  108. प्रश्न- प्रयोगवाद के नामकरण एवं स्वरूप पर प्रकाश डालते हुए इसके उद्भव के कारणों का विश्लेषण कीजिए।
  109. प्रश्न- प्रयोगवाद की परिभाषा देते हुए उसकी साहित्यिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  110. प्रश्न- 'नयी कविता' की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  111. प्रश्न- समसामयिक कविता की प्रमुख प्रवृत्तियों का समीक्षात्मक परिचय दीजिए।
  112. प्रश्न- प्रगतिवाद का परिचय दीजिए।
  113. प्रश्न- प्रगतिवाद की पाँच सामान्य विशेषताएँ लिखिए।
  114. प्रश्न- प्रयोगवाद का क्या तात्पर्य है? स्पष्ट कीजिए।
  115. प्रश्न- प्रयोगवाद और नई कविता क्या है?
  116. प्रश्न- 'नई कविता' से क्या तात्पर्य है?
  117. प्रश्न- प्रयोगवाद और नयी कविता के अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
  118. प्रश्न- समकालीन हिन्दी कविता तथा उनके कवियों के नाम लिखिए।
  119. प्रश्न- समकालीन कविता का संक्षिप्त परिचय दीजिए।

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book